Tuesday, August 9, 2011

खामोश

खामोश हूँ,
क्यूँ,
किसलिए,
पता नहीं,
पर अन्दर,
विचारों की उधेड़बुन,
भावनाओ का संगम,
इस सावन में,
जीवन रस,
सराबोर उलझन,
न बंधन,
न रुकावट,
न संकोच,
न अफसोस,
न अलगाव,
एसा लगता है ,
फिसल गया हूँ,
पर गिरा नहीं,
न जाने क्यों,
सबकुछ है कहने को,
पर खामोश हूँ......... 
 
 

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