जब लगतार होती है बरसात ,
तो याद आ ही जाती है ,
उन पालो की जो बीत गए ,
उन दोस्तों की जो व्यस्त हो गए ,
कितने अच्छे थे वो दिन
...कल्लू का टपरा और भीगते हम ,
दोने में भजिये लिए ,
गप्पें हकते हम ,
अब न वो बातें है ,
न मुलाकाते है ,
फिरभी भीगते है ,
अकेले नहीं ,
हम है यादें है ,
और वो रास्ता जिस पर हम चलते जाते है .
तो याद आ ही जाती है ,
उन पालो की जो बीत गए ,
उन दोस्तों की जो व्यस्त हो गए ,
कितने अच्छे थे वो दिन
...कल्लू का टपरा और भीगते हम ,
दोने में भजिये लिए ,
गप्पें हकते हम ,
अब न वो बातें है ,
न मुलाकाते है ,
फिरभी भीगते है ,
अकेले नहीं ,
हम है यादें है ,
और वो रास्ता जिस पर हम चलते जाते है .
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