जितने करीब आओगे .....उतना ही नया पाओगे .......
Monday, October 18, 2010
कुछ करिए
बोझिल सामज ,
कठोर समाज,
आस्तिक समाज,
नास्तिक समाज,
उत्सवी समाज,
मातमी समाज,
साहसी समाज,
भयभीत समाज,
प्रेमपूर्ण समाज,
घृणित समाज,
दोस्त समाज,
दुश्मन समाज,
ये हमारी सोच पर निर्भर है!
जैसा चाहिए,
गढ़ लो अपना समाज !
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