Thursday, October 21, 2010

sapana..........!

हसीन सपना,
जीवन जीने का सपना,
खास सपना,
दिल में रखते हैं सजोकर,
जैसे शरीर में आत्मा !
जिसके पूर्ण होने की लालसा,
अनवरत चलने को करती है मजबूर !
उलझ गया हूँ ,
गिर गया हूँ ,
एक अंधे कुएं में ,
नहीं है कोइ प्रकाश की किरण ,
कुछ समझ नहीं आता,
क्या अंतर है,
सपना और मृगतृष्णा में,
किसने देखा है,
अलौकिक भगवान को,
अकल्पनीय प्यार को,
अतुलनीय सौन्दर्य को,
है कोई उत्तर,
नहीं ना, परन्तु !
आश्चर्य और अविश्वास,
दोनों होता है एक साथ,
क्योंकि,
जिनको ये सब मिला,
उसने कभी,
देखा ही नहीं सपना !

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