Thursday, October 18, 2012

मिलता ही नहीं.....

क्या लिखूं 
क्यूँ लिखूं
किसके लिए लिखूं 

सब व्यर्थ 
सब अशांत
सब अस्थिर 

किसे देखूं 
किसे रोकूँ 
किससे कहूँ ठहरो

हर पल बेचैन 
हर पल उल्झन
हर पल रुकावटें

सच क्या है 
सच क्यूँ है
सच कहाँ है

मिलता ही नहीं 
इसका जवाब
क्यूँ हमें
या  तुम्हे............  

No comments:

Post a Comment